
बाँट आया मैं खुद को
इतनी सारी उम्मीदों में
कि सारे टुकड़े बासी हो चले -
कुछ तेलचट्टों ने चुरा लिया
कुछ दीमक डकार डाले
जो बच गया
उसे शायद भरोसा है
किसी शख्स की तबीयत का-
कि ये अब भी नहीं समेंट रहा
अपने इन टूट चुके टुकड़ों को
जिन्हे तुम सुंदर कहते थे, वे अपनी कुरूपता से भयभीत होकर भाग खड़ी हुईँ
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