इतनी कड़वी दवाईयाँ पी चुका
कि अब मीठी गोली बेईमान लगती है
थक गयी सबको खुश करते करते
अब समझा वो क्यूँ परेशान लगती है
बनो खुद में ही कुछ, बनो खुद अपने जैसे
ये मशहूर अदाएँ एक समान लगती हैं
जिन्हे तुम सुंदर कहते थे, वे अपनी कुरूपता से भयभीत होकर भाग खड़ी हुईँ
@
ReplyDeleteथक गयी सबको खुश करते करते
अब समझा वो क्यूँ परेशान लगती है
बह मत जा इस ख़ुशनसीबी की रवानगी पे
हो न हो, ये कुछ ही दिन की मेहमान लगती है
गठिया कर लिए जा रहा हूँ। शुभ दिन था वह, जिस दिन इस ब्लॉग पर पहुँचा था।
बहुत सुन्दर रचना है ..................
ReplyDelete